अभिन्नदर्शी परमात्मपरायण तद्रूप भक्तों में कोई तो स्वामी शुकदेवजी की तरह लोगों के उद्धार के लिए उदासीन की भांति विचरते हैं, कोई अर्जुन की भांति भगवदाज्ञानुसार आचरण करते हुए कर्तव्य कर्मों के पालन में लगे रहते हैं, कोई प्रातःस्मरणीया भक्तिमती गोपियों की तर